
- ठाकुर सुरेंद्र पाल सिंह
अंतर्राष्ट्रीय समाजसेवी रोशन रतूड़ी ने उत्तराखंड में बढ़ती मानव-वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं पर गहरी चिंता जताई है। हाल ही में चंपावत जिले के खटीमा क्षेत्र में तेंदुए के हमले में बिरमा देवी की दर्दनाक मौत के बाद उन्होंने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रशासन और सरकार की लापरवाही के कारण निर्दोष लोग अपनी जान गंवा रहे हैं।
रोशन रतूड़ी ने कहा, “सरकार का पहला कर्तव्य जनता को सुरक्षा देना है। लेकिन उत्तराखंड में हालात ऐसे हो गए हैं कि लोग घर से बाहर निकलने में डरने लगे हैं। आए दिन तेंदुए के हमले हो रहे हैं, लेकिन सरकार और वन विभाग कोई ठोस कदम उठाने के बजाय सिर्फ आश्वासन दे रहे हैं। आखिर कब तक लोग इन हमलों में मारे जाते रहेंगे?”
उन्होंने सरकार से मांग की कि बिरमा देवी के परिवार को तत्काल उचित मुआवजा दिया जाए और उनके आश्रितों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाए। उन्होंने कहा, “जब तक सरकार गंभीरता से कार्रवाई नहीं करेगी, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं। प्रभावित परिवारों को मुआवजा देना ही काफी नहीं, बल्कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकालना जरूरी है।”
रोशन रतूड़ी ने वन विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि “हर साल वन्यजीवों के हमलों में कई लोग मारे जाते हैं, लेकिन वन विभाग सिर्फ खानापूर्ति करता रहता है। आखिर सरकार कब जागेगी? क्या किसी बड़े नेता या अधिकारी के परिवार में ऐसी घटना होने के बाद ही प्रशासन हरकत में आएगा?”
उन्होंने सुझाव दिया कि वन विभाग को आधुनिक तकनीकों और विशेषज्ञों की मदद से तेंदुए को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाना चाहिए। साथ ही, जंगलों से सटे गांवों में सीसीटीवी, सोलर लाइट और अलार्म सिस्टम लगाए जाने चाहिए, ताकि लोगों को सुरक्षित रखा जा सके।
रोशन रतूड़ी ने कहा कि अगर सरकार इस मामले में जल्द से जल्द ठोस कदम नहीं उठाती, तो वे जनता के साथ मिलकर एक बड़ा जनआंदोलन खड़ा करेंगे। उन्होंने अपील की कि “यह सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की समस्या है। हमें मिलकर सरकार पर दबाव बनाना होगा, ताकि आने वाले समय में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।”
क्या सरकार करेगी कार्रवाई या फिर जनता को यूं ही डर के साए में जीना पड़ेगा? यह देखने वाली बात होगी।