
उत्तराखंड के हरिद्वार जिले के नारसन विकासखंड के सिकंदरपुर मवाल गांव की रहने वाली रीना का जीवन आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। उनके पति की सीमित आमदनी के कारण घर का खर्च चलाना मुश्किल हो रहा था, और बच्चों को अच्छी शिक्षा देने में भी कठिनाइयाँ आ रही थीं। इस स्थिति में, जब उनके गांव में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत स्वयं सहायता समूह के गठन की जानकारी देने के लिए टीम आई, तो उन्हें पता चला कि इस पहल से वे आर्थिक सुधार कर सकती हैं और अपनी आजीविका को मजबूत बनाने के लिए प्रशिक्षण भी प्राप्त कर सकती हैं।

इस जानकारी से प्रेरित होकर रीना ने शिव शंकर स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। समूह में शामिल होने के बाद, रीना को बैंक खाता खोलने और सरकारी योजनाओं से वित्तीय सहायता प्राप्त करने का अवसर मिला। ग्रामोत्थान परियोजना के तहत, उन्हें “अल्ट्रा पुअर पैकेज” योजना से ₹35,000 की ब्याज मुक्त ऋण 2 साल के लिए सहयोग राशि के रूप में प्राप्त हुई, जिससे उन्होंने एक गाय खरीदी।
इस सहायता से उनमें आत्मनिर्भर बनने का विश्वास जगा, और उन्होंने धीरे-धीरे अपने व्यवसाय को बढ़ाने पर ध्यान देना शुरू किया। सिर्फ गाय पालन ही नहीं, बल्कि उन्होंने जूट बैग निर्माण का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया और जूट बैग बनाकर बेचने का कार्य शुरू किया। इससे उनकी आय में धीरे-धीरे बढ़ोतरी होने लगी, और उनका परिवार आर्थिक रूप से सशक्त होने लगा।

इस पहल का रीना के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा। पहले जहाँ जीवन-यापन कठिन था और घर खर्च और बच्चों की शिक्षा पर असर पड़ता था, वहीं अब वे अपने परिवार के लिए एक स्थिर आमदनी सुनिश्चित कर पा रही हैं। खेती के साथ-साथ जूट बैग निर्माण ने उन्हें अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद की। साथ ही, ग्रामोत्थान / रीप परियोजना और एनआरएलएम के प्रशिक्षण कार्यक्रमों ने उन्हें व्यवसाय प्रबंधन और वित्तीय नियोजन की जानकारी दी, जिससे वे अपने काम को अधिक प्रभावी ढंग से संचालित कर सकीं।आज, रीना न सिर्फ सफल उद्यमी बनी हैं, बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। उनकी सफलता यह साबित करती है कि अगर सही मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण मिले, तो कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है। ग्रामोत्थान / रीप परियोजना ने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया, और यह पहल भविष्य में कई अन्य महिलाओं को भी आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने की राह दिखाएगी। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा ग्रामिण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण का एक उज्ज्वल उदाहरण प्रस्तुत करती है।
आज, रीना न सिर्फ सफल उद्यमी बनी हैं, बल्कि अपने गांव की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत भी हैं। उनकी सफलता यह साबित करती है कि अगर सही मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण मिले, तो कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है। ग्रामोत्थान / रीप परियोजना ने उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया, और यह पहल भविष्य में कई अन्य महिलाओं को भी आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनने की राह दिखाएगी। उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा ग्रामिण क्षेत्रों में महिला सशक्तिकरण का एक उज्ज्वल उदाहरण प्रस्तुत करती है।