कांगड़ी में 2026 में आयोजित होगा अंतर्राष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन – स्वामी यतिश्वरानंद
स्वामी श्रद्धानंद को मिले भारत रत्न – स्वामी आदित्यवेश
शिक्षा के साथ संस्कार देने के लिए बच्चों को गुरुकुल भेजें – दीनानाथ शर्मा
हरिद्वार।
महान समाज सुधारक, शिक्षाविद् एवं धर्मरक्षक
स्वामी श्रद्धानंद जी के 99वें बलिदान दिवस की पूर्णता के अवसर पर हरिद्वार में एक गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतिश्वरानंद जी ने की, जबकि मुख्य अतिथि के रूप में सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा, नई दिल्ली के उप मंत्री स्वामी आदित्यवेश जी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विशेष सान्निध्य गुरुकुल के मुख्य अधिष्ठाता डॉ. दीनानाथ शर्मा जी का रहा।
कार्यक्रम का शुभारंभ वैदिक विधि से संपन्न यज्ञ के साथ हुआ। यज्ञ के ब्रह्मा डॉ. योगेश शास्त्री रहे तथा यज्ञमान के रूप में अश्वनी कुमार एवं रविकांत मलिक ने सहभागिता निभाई। यज्ञोपरांत स्वामी यतिश्वरानंद जी एवं स्वामी आदित्यवेश जी ने ध्वजारोहण किया।
इसके पश्चात गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय, स्वामी दर्शनानंद महाविद्यालय, कांगड़ी फार्मेसी तथा हरिद्वार जिला सभा से जुड़े आर्यजनों द्वारा भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो सिंहद्वार पहुँचकर एक विशाल सभा में परिवर्तित हो गई।
सभा को संबोधित करते हुए स्वामी यतिश्वरानंद जी ने कहा कि लार्ड मैकाले की औपनिवेशिक शिक्षा पद्धति को चुनौती देते हुए स्वामी श्रद्धानंद जी ने आर्ष शिक्षा पद्धति की पुनर्स्थापना की। उन्होंने घोषणा की कि स्वामी श्रद्धानंद जी के बलिदान के 100 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर हरिद्वार में एक भव्य अंतरराष्ट्रीय आर्य महासम्मेलन आयोजित किया जाएगा, जिसमें देश-विदेश से एक लाख से अधिक आर्यजन श्रद्धांजलि अर्पित करने हेतु एकत्र होंगे।
मुख्य अतिथि स्वामी आदित्यवेश जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आर्ष शिक्षा पद्धति, स्वतंत्रता आंदोलन तथा धर्मरक्षा अभियान में स्वामी श्रद्धानंद जी की भूमिका ऐतिहासिक रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि स्वामी श्रद्धानंद जी को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। साथ ही उन्होंने स्थानीय प्रशासन से आग्रह किया कि सिंहद्वार पर निर्मित सेतु का नाम “स्वामी श्रद्धानंद सेतु” रखा जाए।
विशेष सान्निध्य में डॉ. दीनानाथ शर्मा जी ने कहा कि यदि आज हमें बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार देने हैं तो गुरुकुलीय शिक्षा को पुनः सशक्त करना होगा। गुरुकुल ही हमारी संस्कृति और संस्कृत की रक्षा कर सकते हैं।
कार्यक्रम का संचालन अशोक आर्य ने किया। इस अवसर पर उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. दिनेशचंद्र शास्त्री, बिजेंद्र शास्त्री, कांगड़ी फार्मेसी के मैनेजर अंनत पिल्लई, जीतेद्र वर्मा, हुक्म चंद, हाकम सिंह आर्य रुड़की, बृजेश, सिंह वेदपाल, अमित, राजकमल, दीपकमल, अमर सिंह, अशोक कुमार, धर्मसिंह, गौरव शर्मा, लोकेश शास्त्री, विजय कुमार, धर्मेंद्र, धीरज दत्त कौशिक, तुषार दिनेश, सज्जन सिंह सतबीर, रोहित बालियान, प्रभात, योगेश सिंह,फकीरचंद सहित अनेक गणमान्य विद्वान, आर्य समाज के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।
