उत्तराखंड की पुण्यभूमि उत्तरकाशी एक बार फिर उस वक्त गौरवान्वित हुई जब अंतर्राष्ट्रीय समाजसेवी रोशन रतूड़ी ने अपने अथक प्रयासों से एक प्रवासी उत्तराखंडी युवक को विदेशी ज़मीन से सकुशल स्वदेश वापस लाकर मानवता की मिसाल पेश की।
उत्तरकाशी जनपद के उड़री गांव निवासी गंगा सिंह मलेशिया के एक होटल में शेफ़ के पद पर कार्यरत थे। बीते कुछ समय से उनका स्वास्थ्य अत्यंत खराब चल रहा था। रसोई में कार्य करते हुए एक दुर्घटना में उनके शरीर का कुछ हिस्सा जल गया और वह गंभीर पीड़ा से जूझ रहे थे। इस बीच कंपनी की बेरुख़ी का चेहरा भी सामने आया, जब उन्होंने गंगा सिंह को न तो उचित इलाज की सुविधा दी और न ही भारत लौटने की अनुमति दी। हालत इतनी बिगड़ गई थी कि दर्द के कारण काम करते हुए गंगा सिंह को बार-बार चक्कर आने लगे।

विपत्ति की इस घड़ी में जब गंगा सिंह के परिजनों की सभी कोशिशें असफल हो चुकी थीं, तब उन्होंने आशा की एक किरण अंतर्राष्ट्रीय समाजसेवी एवं ह्यूमन राइट्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रोशन रतूड़ी में देखी। परिजनों ने जैसे ही रतूड़ी से संपर्क किया, उन्होंने पूरी संवेदनशीलता और तत्परता के साथ इस मामले को अपने हाथ में लिया।
रतूड़ी ने तत्काल मलेशिया स्थित उस होटल के मालिक से संपर्क साधा और बेहद सख़्त लेकिन मर्यादित भाषा में गंगा सिंह की हालत और उनके अधिकारों की बात रखी। उनकी मेहनत और मानवीय प्रयासों का ही नतीजा था कि होटल प्रशासन को झुकना पड़ा और अंततः गंगा सिंह को भारत लौटने की इजाज़त मिल गई।

दिनांक, 17 अप्रैल गुरुवार को गंगा सिंह सकुशल अपने गांव उड़री लौट आए हैं। गांव पहुंचने पर परिजनों और स्थानीय लोगों की आंखों में आंसू थे, लेकिन ये आंसू अब राहत और कृतज्ञता के थे। गंगा सिंह और उनके परिजनों ने रोशन रतूड़ी का आभार प्रकट करते हुए कहा कि अगर रतूड़ी जी न होते तो शायद गंगा सिंह की वापसी इतनी जल्दी और सुरक्षित न हो पाती।
इस मौके पर रोशन रतूड़ी ने एक बार फिर अपने विचार साझा करते हुए कहा, “कोई भी काम मुश्किल नहीं होता है, बस करने का जुनून और नीयत साफ़ होनी चाहिए। इंसानियत हमेशा ज़िंदा रहनी चाहिए। जब तक जीवन है, तब तक मैं हर पीड़ित की आवाज़ बनकर खड़ा रहूंगा।”
रोशन रतूड़ी का यह कदम न केवल उत्तराखंड बल्कि देश-विदेश में बसे हर प्रवासी भारतीय के लिए एक उम्मीद की किरण है। उनका यह कार्य यह साबित करता है कि जब मदद की भावना सच्ची होती है, तो सीमाएं कोई मायने नहीं रखतीं।
इसी क्रम में हाल ही में रतूड़ी ने चिन्यालीसौड़ निवासी अमित सिंह को भी मस्कट, ओमान से सुरक्षित भारत वापसी करवाई। अमित सिंह को वहां की एक निजी कंपनी द्वारा शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था और महीनों से सैलरी भी नहीं दी गई थी। उनकी स्थिति अत्यंत दयनीय थी, लेकिन रतूड़ी की अथक कोशिशों से उनकी भी घर वापसी संभव हो सकी।
वहीं उत्तरकाशी के ही तीसरे युवक इंद्रमणि नौटियाल, जो पिछले आठ वर्षों से सऊदी अरब में फंसे हैं, उनकी भी रिहाई के प्रयासों में रतूड़ी जुटे हुए हैं। ट्रक चालक इंद्रमणि को एक कंपनी ने बंधक बना रखा है और उनसे बंधुआ मजदूरी करवाई जा रही है। इस अत्यंत जटिल और संवेदनशील मामले में भी रोशन रतूड़ी दिन-रात मेहनत कर रहे हैं ताकि इंद्रमणि भी जल्द अपने परिवार के पास लौट सकें।
उत्तराखंड की धरती को ऐसे सपूतों पर गर्व है, जो न केवल अपने राज्य बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्त्रोत बनते हैं।