
poultry farming हरिद्वार जिले के भगवानपुर ब्लॉक के फरकपुर गांव की श्रीमती धीरज देवी ने अपनी मेहनत और ग्रामोत्थान (REAP) परियोजना के सहयोग से मुर्गीपालन के क्षेत्र में सफलता की नई मिसाल कायम की है। वह “लक्ष्य स्वयं सहायता समूह” और “शाकुंभरी ग्राम संगठन” की सक्रिय सदस्य हैं, जो “ज्योतिर्मय संकुल स्तरीय संघ” (CLF) से जुड़ी हुई हैं। poultry farming
poultry farming धीरज देवी ने शुरुआत में 100 चूज़ों के साथ छोटे स्तर पर मुर्गीपालन शुरू किया था, जिससे वह तीन महीने में ₹10,000 से ₹15,000 तक की आय अर्जित करती थीं। हालांकि, आय सीमित होने के कारण परिवार का पालन-पोषण मुश्किल हो रहा था। ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के तहत हुए सर्वेक्षण में जब उनकी आर्थिक स्थिति का आकलन किया गया, तो उन्हें बड़े स्तर पर व्यवसाय करने के लिए प्रोत्साहित किया गया और अंशदान के लिए आवेदन भरवाया गया। poultry farming
poultry farming परियोजना से उन्हें ₹75,000 का अंशदान प्राप्त हुआ। इसके अलावा, बैंक लोन और अपनी बचत मिलाकर उन्होंने कुल ₹3,00,000 का निवेश किया। इस राशि से उन्होंने बड़ा शेड बनवाया, अधिक चूज़े खरीदे, चारा, दवा और अन्य आवश्यक उपकरणों का इंतजाम किया। अब उनके पास 650 मुर्गियां हैं, जो उत्पादन के लिए तैयार रहती हैं। वर्तमान में वह हर तिमाही ₹30,000 से ₹40,000 की आय कमा रही हैं, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। poultry farming
poultry farming धीरज देवी का कहना है, “समूह, ग्राम संगठन और परियोजना के सहयोग से मैं आत्मनिर्भर बनी हूँ। अब मेरा सपना है कि गाँव की और भी महिलाएं इस रास्ते पर चलकर आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करें।” यह यात्रा साबित करती है कि सही मार्गदर्शन, वित्तीय सहायता, और अपनी मेहनत से ग्रामीण महिलाएं सफल उद्यमी बन सकती हैं। धीरज देवी आज न केवल अपने परिवार का सहारा बनी हैं, बल्कि गाँव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनकर आत्मनिर्भर भारत की मजबूत नींव रख रही हैं। poultry farming