जिला अस्पताल में घोर लापरवाही: इलाज के अभाव में युवक दीपक रावत की मौत, परिजनों का फूटा गुस्सा

जिला चिकित्सालय एक बार फिर अपनी लचर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कठघरे में आ गया है। सोमवार को इलाज के अभाव में 30 वर्षीय युवक दीपक रावत, पुत्र विजयपाल रावत, निवासी गांव नाल्ड, की मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों में गहरा आक्रोश फैल गया है।परिजनों ने आरोप लगाया है कि युवक की हालत बिगड़ने के बावजूद डॉक्टरों ने समय पर उसे देहरादून रेफर नहीं किया। उन्होंने बताया कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद न तो हेली सेवा उपलब्ध कराई गई और न ही एंबुलेंस दी गई। अगर समय पर कार्रवाई होती, तो दीपक की जान बचाई जा सकती थी।

परिजनों ने आरोप लगाया है कि युवक की हालत बिगड़ने के बावजूद डॉक्टरों ने समय पर उसे देहरादून रेफर नहीं किया। उन्होंने बताया कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद न तो हेली सेवा उपलब्ध कराई गई और न ही एंबुलेंस दी गई। अगर समय पर कार्रवाई होती, तो दीपक की जान बचाई जा सकती थी।

जब इस बारे में मुख्य चिकित्साधिकारी (CMO) डॉक्टर बी.एस. रावत और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (CMS) पी.एस. पोखरियाल से सवाल किया गया तो उन्होंने मौसम खराब होने की वजह से हेली सेवा न मिलने की बात कही। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि जब हेली सेवा संभव नहीं थी तो सड़क मार्ग से रेफर करने के लिए एंबुलेंस क्यों नहीं दी गई?

इस लापरवाही के चलते अस्पताल में अफरा-तफरी मच गई। परिजनों ने डॉक्टरों पर सीधे लापरवाही के आरोप लगाए और स्थानीय लोगों ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। फिलहाल, सभी पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन जनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा।

उत्तरकाशी जिला अस्पताल में लंबे समय से डॉक्टरों की भारी कमी बनी हुई है। अस्पताल धीरे-धीरे एक रेफर सेंटर बनकर रह गया है। खासकर चारधाम यात्रा से पहले जब मरीजों की संख्या में इजाफा होता है, तब ऐसी लापरवाहियां बेहद चिंताजनक हैं।

स्थानीय निवासियों का कहना है कि “जब डॉक्टरों पर भरोसा ही नहीं रहा, तो फिर अस्पताल का क्या अर्थ रह जाता है?” लगातार हो रही ऐसी घटनाओं के बावजूद न तो अस्पताल प्रशासन में कोई सुधार नजर आता है और न ही राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस कदम उठाया गया है।

यह घटना न केवल उत्तरकाशी जिला अस्पताल की दुर्दशा को उजागर करती है, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर भी सवाल खड़े करती है। जब तक जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं की जाती और व्यवस्था को दुरुस्त नहीं किया जाता, तब तक आम जनता यूं ही अपनों को खोती रहेगी।

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