
Pig farming became a source of prosperity उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार जिले के रूड़की विकासखंड के डेलना गाँव की श्रीमती मिंटोश देवी ने अपनी लगन और ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना की सहायता से सुअर पालन के माध्यम से आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है। मिंटोश देवी वरदान सीएलएफ के नेहा स्वयं सहायता समूह की सक्रिय सदस्य हैं। पहले वे छोटे स्तर पर सुअर पालन करती थीं, जिससे उनकी मासिक आय लगभग ₹5000-₹6000 थी। लेकिन वित्तीय संसाधनों की कमी और जगह की समस्या के कारण वे अपने व्यवसाय का विस्तार नहीं कर पा रही थीं। ग्रामोत्थान (रीप) परियोजना के तहत उन्हें तकनीकी मार्गदर्शन और वित्तीय सहायता मिली, जिससे उनके व्यवसाय में सकारात्मक परिवर्तन आया। Pig farming became a source of prosperity
Pig farming became a source of prosperity परियोजना के सहयोग से, मिंटोश देवी को ₹75,000 की सहायता राशि, ₹1,50,000 का बैंक लोन, और ₹75,000 की अपनी बचत का उपयोग करने का अवसर मिला। इस धनराशि का एक हिस्सा उन्होंने पास में जमीन खरीदने में लगाया, ताकि बड़े स्तर पर सुअर पालन किया जा सके। नए स्थान पर बेहतर सुविधाओं के साथ वैज्ञानिक तरीकों को अपनाकर उन्होंने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाई। इससे उनके व्यवसाय को विस्तार मिला और उनकी मासिक आय ₹12,000-₹15,000 तक पहुँच गई, जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ हो गई। Pig farming became a source of prosperity
Pig farming became a source of prosperity यह सफलता सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि ग्रामीण आजीविका संवर्धन के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। परियोजना और प्रशासनिक मार्गदर्शन से न केवल मिंटोश देवी का व्यवसाय बढ़ा, बल्कि अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी इससे प्रेरणा मिली। यह पहल न केवल आजीविका के नए अवसर खोल रही है, बल्कि आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। Pig farming became a source of prosperity